चर्चाएं तेरी मेरी मोहब्बत की होंगी
बातें तो तेरी मेरी उल्फत की होंगी
तू रूठकर कितने दिन गुजार लेगी
कब तक दिल के तूफान मार लेगी
तेरा वो जिक्र करना दोस्तों से मेरा
तेरी सांसों में बस नाम रहना मेरा
याद तुझे तो आएंगी वो चांदनी रातें
जब छत पर होती थीं दिल की बातें
चांद भी गवाही देगा ज़माने में मेरी
कैसी मोहब्बत थी भूलने वाली तेरी
मैं तो भूल नहीं सकता हूँ चाह कर
जी रहा हूँ मैं हर-पल आह भर कर
तेरा रूठकर जाना मुझे नहीं गंवारा
पाक और पवित्र था वो प्यार हमारा
कुछ तो हम दोनों ही रहे गल्फत में
कोई यूँ नहीं छोड़ जाता उल्फत में
आओ फिर हम दोनों एक हो जाएँ
वही पुरानी मोहब्बत में खो जाएँ
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