पठानकोट लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
पठानकोट लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

अॉटो रिक्शा और जिंदगी का महत्व

शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है।
हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है।।
कोई ढूढ़ता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को।
कोई पा के मंज़िल भी बेमुकाम होता है।।
फोटो।। साभार... इंटरनेट।।

दो वर्ष पुरानी बात है। रविवार का दिन था। मैं घर से जालंधर जा रहा था। रात 11 बजे चम्बा से पठानकोट के लिए बस ली। तड़के 3.45 पर बस से मुझे पठानकोट बस स्टेंड उतार दिया।यह हिमाचल का बस स्टेंड था, साथ में रेलवे स्टेशन था। पहले सोचा कि क्यों न ट्रेन से जालंधर चला जाए। मगर मन में ख्याल आया कि कहीं ट्रेन में आंख लग गई तो कहीं और ही न पहुंच जाऊं। चेहरे पर साफ डर झलक रहा था, शायद। बस से और भी कई लोग साथ उतरे, लेकिन किसी को मैं जानता नहीं था। तो किसी से बात भी नहीं की। मैं रेलवे स्टेशन के अंदर गया, वहां मौजूद स्टेशन मास्टर से ट्रेन के बारे मैं पूछा तो जवाब मिला कि पांच बजे के करीब आएगी। मैं मन मैं सोचने लगा कि घंटा भर यहां क्या करूंगा। चूंकि बस सर्विस लगातार है तो मैं स्टेशन से बाहर आ गया। यहां वहां देखने लगा कि कोई अॉटो रिक्शा मिल जाए तो मैं पंजाब के बस स्टेंड पहुंच सकूं। मैं थोड़ा से आगे गया तो एक रिक्शे पर अधेड़ उम्र का व्यक्ति सोया था। 

मैंने आवाज दी ... बस स्टेंड चलोगे। 
वापस आवाज आई... क्यों नहीं साहब चलूंगा ना... पर 50 रुपये लूंगा। 
मैं... चाचा 20 रुपये दूंगा। 
बोले... साहब आप अकेले हो तो मेरे चक्कर की कमाई भी पूरी नहीं होगी। रिक्शे में दो आदमी चलते तो 40 रुपये ले लेता। आप तो अकेले हो तो साहब इतने तो लगेंगे। 
मैं कहा... चाचा जी... फिर भी 10 रुपये ज्यादा है। 
चाचा बोले... साहब... रात भर भी तो जागते हैं। 
मैंने कहा...चाचा तो यह तो आपका काम है ना, तो मैं क्या करूं, लेकिन मैं 20 ही दूंगा। चलना है तो चलो। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि यह सुनकर चाचा को गुस्सा-सा आ गया। 
तपाक से कड़क आवाज में... हमारा भी शौक नहीं हैं कि हम रात-रात भर जागें। पापी पेट के लिए ही यह सब कर रहा हूँ। और काम। कैसा काम यहां तो हमारी जिंदगी दांव पर है। क्या काम करते हो... चाचा ने मुझसे पूछा।
मैं धीरे से... चाचा वो पंजाब केसरी अखबार में सब-एडिटर हूँ। 
चाचा बोले.. अच्छा जी... आप भी करते हो 8-9 घंटे काम करते होंगे ना...। 
मैं... जी चाचा जी। 
चाचा बोले... बेटा आप क्या जानो कि काम क्या होता है। आप तो एसी कमरे में बैठ कर कम्प्यूटर पर बैठ कर काम करते हो ना
मुझे लगा कि चाचा मेरे काम को कम आंक रहे हैं। 
मैं... चाचा जी दुनिया में जो कुछ हो रहा होता है उसकी जानकारी हम ही आप तक पहुंचाते हैं...। 
चाचा... कमरे में बैठ कर दुनिया की जानकारी रखते हो। बहुत बड़ा काम करते हो। लेकिन हम तो 18 से 20 घंटे तक इस रिक्शे के पैंडल मारते हैं। दिन रात जागते रहते हैं, बस लोगों को उनके स्टेशन पर पहुंचाते रहते हैं। सिर्फ 2 से 3 घंटे तक सोते हैं। 
मैं... अच्छा छोड़ो ना चाचा... चलो... बस... मुझे बस स्टेंड छोड़ दो। जो आपने कहा वही पैसे आपको मिल जाएंगे।
चाचा... आजा चल बैठ....
जैसे ही बैठा चाचा ने पूरे जोश के साथ रिक्शे को पैंडल मारा और रेलवे स्टेशन से बाहर निकला... करीब डेढ किलोमीटर की दूरी थी। रिक्शे पर बैठाकर चाचा पूरे जोश से पैंडल मारता गया। करीब पांच मिनट बाद चाचा जी थोड़े थके से प्रतीत हुए। मैं चाचा से.... चाचा जी आपको थकान नहीं लगती। रोजाना 18-20 घंटे तक इसी तरह से पैंडल मारते हो। थोड़ा रूक जाओ। बीड़ी-सिगरेट पीते हो।
चाचा ने बीड़ी का बंडल निकाला और बीड़ी जलाई और मेरी ओर बंडल करते हुए बोले लो साहब... नहीं चाचा आप  पियो...
चाचा कहने लगे जिंदगी मिली है साहब तो जीनी ही पड़ेगी।
मैं... सिर हिलाते हुए हांजी का ईशारा किया।
थोड़ी देर में हम फिर वहां से चल दिए...
चाचा ने फिर कहा कि बेटा जिंदगी  उतरा चढ़ाव आते रहते हैं। हम तो बस चलते जाना है। चाचा के यह शब्द सुनकर में सोच में पड़ गया था कि चाचा ने कितनी बड़ी बात को कितनी सहजता के साथ कह दिया।
थोड़ी देर में हम बस स्टेंड पर पहुंच चुके थे मैंने चाचा को 50 रुपये निकाल कर दिए और चाचा का धन्यवाद किया। 

दुनिया में आपको ऐसे हजारों लोग मिल जाएंगे, जो इस तरह से जिंदगी जीते हैं। उनके जीवन का संघर्ष हमें भी निरंतर संघर्षशील रहने की प्रेरणा देता है।

एक चालक की जिंदगी क्या है। यही सिर्फ कि लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाना है, पर खुद का पता नहीं हमारी जिंदगी का क्या ठिकाना है।।

उस चाचा जी का नाम नहीं पूछा पाया था और ना वो चाचा मुझे कभी दिखाई दिए हैं।
Powered By Blogger

गांव और शहर में बंटी सियासत, चम्बा में BJP को डैमेज कंट्रोल करना बना चुनौती

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की बाद भाजपा में बगावत के सुर तेज हो गए हैं। ऐसा ही कुछ हाल चम्बा जिला के...