कौन रोकेगा

मैं गुजर रहा हूँ तेरे शहर से
तुझे खुशबू तो आई होगी
याद कर वो प्यार के किस्से
आंखों में नमी तो आई होगी

वो ख्वाब भी याद आए होंगे
संग जीने के जो सजाए होंगे
चांदनी रात वो खुला आसमां
यादकर दो बूँद तो गिराई होंगी

हम यूं ही आएंगे इस शहर में
रात, सुबह शाम व दोपहर में
कौन मुझे अब रोकेगा यहाँ
कुछ इज्जत तो कमाई होगी

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